हैलो, मेरी उम्र के बेबीज़ के मॉम और डैड… हम्म… मुझे लगता है कि आपको थोड़ी सी कॉफी पी लेनी चाहिए; तब तक मैं आपका इंतजार करूँगा। अगर आपके नन्हें-मुन्ने ने भी आपको उतनी रातें जगाया है जितना मैंने अपने मॉम और डैड को जगाया था, तो मुझे इस बात पर यकीन है कि आपको कम से कम दो या तीन कप की ज़रूरत तो पड़ेगी ही।
वाह… यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि आप दोबारा वापस आ गए हैं और यह तो और भी अच्छा है (एक मिनट रुकिए, और भी बहुत अच्छा भी कोई वाक्य होता है? असल में मिस्टर ट्रम्प ने ऐसा कुछ कहा था!) कि क्या कॉफी से वाकई आपकी आँखें खुली हैं।
तो जैसा कि मैं कह रहा था, मैं अपने भारत से प्यार करता हूं। मेरी मॉम और डैड भी उतना ही प्यार करते हैं। मैं उनका ‘मेक इन इंडिया’ जो हूँ। लेकिन इस प्यार की वजह सिर्फ यही नहीं है। मैं भारत को अंदर तक महसूस करता हूं क्योंकि हम ये बात अच्छे से जानते हैं कि यहाँ पार्टी कैसे की जाती है। (मैं स्वीकार करता हूँ : मैं पार्टी पूपर (पार्टी का मज़ा ख़राब करने वाला) हूँ। जब भी हम किसी पार्टी में होते हैं, तो मुझे पॉटी आ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुझे लगता है कि पार्टी में सभी लोग मेरे पेट में गुदगुदी कर रहे हैं!) जैसे इस महीने की ही बात करें तो यह एक नॉन-स्टॉप पार्टी की तरह रहा है।
इसकी शुरुआत गणपति बप्पा मोरया से हुई! वे कहते हैं कि हाथी नहीं भूलते; हम बच्चे भी हाथियों को नहीं भूलते।
फिर जैसे ही वे नौ दिन खत्म होते हैं, नवरात्रि शुरू हो गई। इसके लिए माँ ने मुझे एक बार भी रात भर जगाए रखने के लिए कोई दोष नहीं दिया। बस यही था डांडिया रास और एक पंडाल से दूसरे पंडाल में जाना।
अभी एक दिन हम चाची के यहाँ एक बड़ी पूजा में गए थे। मेरे सभी चचेरे भाई थे लेकिन वे मेरे साथ उतना नहीं खेले थे जितना वे आमतौर पर खेलते हैं। क्योंकि वे बड़े लोगों यह सिखाने में बहुत व्यस्त थे कि अपनी सेल्फी को कैसे अच्छी ली जाए – यह ऐप आपकी झुर्रियों हटा देगी, वह ऐप आपकी कमर से 5 किलो वजन कम कर देगी!
! क्या बकवास है! लेकिन वो चमकते बाल और सोने जैसे दिल वाले दादू-दादी उनका मुझसे मन ही नहीं भरा। उन्होंने मुझे लाड़-प्यार किया और मुझे तब तक हँसाया जब तक मैं है-है कर गुलाबी नहीं हो गया। और उन्होंने मुझे ढेर सारे रुपये भी दिये। सभी चमकीले लाल और खूबसूरत लिफाफे में रखे हुए थे। मुझे अंदर के पैसे से ज्यादा लिफाफे पसंद हैं। कम से कम मैं उनके साथ खेल तो सकता हूं।
ठीक है, मॉम, आई एम सॉरी, मेरा यह मतलब नहीं था।
दरअसल, मेरे पास वाकई में एक अच्छा आइडिया है। माँ, आप मेरे इतने मेहनत से कमाए हुए पैसे का इस्तेमाल इनमें से कुछ चीज़ों पर क्यों नहीं करती। हँसों मत। मुझे इतना सारा पैसा कमाने के लिए वाकई में कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। मैं झपकी लेते हुए भी मुस्कुरा रहा था, जब मैं बेचैन होने पर भी प्यारा दिख रहा था, दीदी के नए-नए गानों की धुन पर अपना पैर हिला रहा था (मुझे लगता है कि ऐसा अपने आप हुआ था) और हज़ारों सेल्फी में भी न चाहते हुए हिस्सा लेने के नाते मेरी कड़ी मेहनत को इसका कोई मुआवज़ा तो मिलना ही चाहिए, है ना?
आइए अपने पसंदीदा टॉपिक पर वापस आते हैं: मैं।
मॉम प्लीज़, क्या ‘हमने’ जो पैसे कमाए हैं हम इस पर खर्च कर सकते हैं:
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अरे! अभी अभी याद आया कि दशहरा आने वाला है। तो आप सभी को दशहरा मुबारक! तुम्हें पता है, मैंने अक्सर मॉम को डैड से यह कहते हुए सुना है कि मैं जब उन्हे रात भर सोने नहीं देता हूँ तो उनके सिर में दर्द हो जाता है। उन्हें सिर्फ एक ही सिर में दर्द होता है। ज़रा सोचो तो, रावण के बच्चों ने उसे क्या दिया होगा? 10, 10 सिरदर्द!
बाय बाय। अब मुझे जाना होगा। मुझे या कहूँ मुझे रावण के जितनी बहुत तेज़ भूख लग रही है!