नाम में क्या रखा है!

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“नाम में क्या रखा है। जिसे हम गुलाब कहते हैं, किसी और नाम से उसकी महक मीठी लगेगी” – शेक्सपियर

आपके लाड़ला के लिए एक नाम।

सभी माता-पिता के पास अपने बच्चों के लिए लाड़ प्यार के नाम होते हैं और वे इनका उपयोग एक अलग स्वर के साथ करते हैं, जो बच्चे के लिए गहरा लगाव दिखाता है। यहबचपन का लाड़ प्या रका नाम जीवन भर व्यक्ति के साथ रह सकता है! वास्तव में ज्यादातर बच्चे, बड़े होने पर भी, अपने माता-पिता से यही उम्मीद करते हैं कि वे उन्हें केवल इसी नाम से ही बुलाए। यही कारण है कि एक बड़ा बच्चा भी उम्मीद करेगा कि उसकी माँ उसे चिंटू ही बुलाए, अगर बचपन में उसका ये लाड़ प्यार का नाम था। फिर भी, भले ही लाड़ प्यार का नाम ज्यादा प्यारा और व्यक्तिगत हैं, माता-पिता होने के नाते हमारी, हमारे बच्चो के लिए कोइ दूसरा औपचारिक नाम तलाशने की कोशिश रहती है।

सभी को एक पहचान की जरूरत होती है।

जबकि वोल्डेमॉर्ट वह हो सकता है जिसका कोइ नाम नहीं होना चाहिए, सभी लोगों को एक व्यक्तिगत पहचान बनाने और दुनिया में अपनी मौजूदगी को वैध बनाने के लिए एक नाम की जरुरत होती है। लेकिन नाम, परिवार और समुदाय के लिए एक सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक अर्थ भी बताता हैं। एक बच्चे को नाम से बुलाना, नाम के मतलब के गुणों को बताने जैसा है। इसलिए विजय (विजय), पारजीत (हार) से कहीं ज्यादा लोकप्रिय नाम है।

नामकरण

अलग-अलग संस्कृतियों और धर्मों में बच्चों के नामकरण के अलग-अलग तरीके हैं। हिंदू परंपरा में, बच्चे के जन्म के समय को लिखा जाता है और एक कुंडली बनाई जाती है या बच्चे के नाम के शुरू के अक्षर को सबसे पवित्र ग्रंथों से लिया जाता है। मुसलमानों और ईसाइयों के कुरान या बाइबिल में भी शुभ नाम होते हैं। कुछ संस्कृतियों में, बच्चा को दादा-दादी या पिता या उस गाँव का नाम दिया जाता है जिस परिवार का वो है या, जिनके साथ वो हैं। अब रिटायर्ड श्रीलंका के गेंदबाज, चमिंडा वास का पूरा नाम वारनाकुलसुरिया पाटाबेंडीगे उषांथा जोसेफ चामिंडा वास है, जिसे अपने पासपोर्ट में फिट करने की कोशिश करें!

नामों में कुछ छिपी हुई शक्ति होती है!

कई माता-पिता मानते हैं कि बच्चे के नाम का प्रभाव, उसके भाग्य पर पड़ता है और इसलिए बच्चे के भविष्य में अच्छी किस्मत लाने के लिए एक ऐसा नाम चुनते हैं, जो सकारात्मक, समृद्ध, सुखद, शक्तिशाली लगे। सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों का जीवन उनसे बेहतर हो। सही शब्द से शुरू करते हुए, एक अच्छे नाम के साथ, इस दिशा में पहला कदम है। कभी-कभी माता-पिता ऐतिहासिक शख्सियतों या खेल नायकों के नाम चुनते हैं। जब तेंदुलकर अपने चरम पर थे, तब सचिन, भारत में सबसे आम नाम बन गया था। हमें यकीन है, अब विराट नाम भी उतना ही लोकप्रिय होगा

नाम का खेल।

बेशक, हर सदी का अपना लोकप्रिय नाम होता है। कुछ ऐसे नाम हैं जो अनन्त हैं और जाना-पहचाना, बोलने में आसान और जो योग्य हो उस नाम को चुनते हैं। कुछ माता-पिता अलग होना चाहते हैं और ऐसे नाम चुनते हैं जो अच्छे लगते हैं और अलग होते हैं जैसे कि नार्थ वेस्ट और शिकागो, किम कार्दशियन और कान्ये वेस्ट के बच्चे। कुछ नाम चलन में आ जाते हैं और अचानक एक कक्षा में एक ही नाम के कई बच्चे हो जाते हैं। मेरी बेटी का नाम काव्या है और उसकी सबसे अच्छी दोस्त का नाम भी वही है। जब उसकी सहेली मिलने आती है, तो हर बार जब हम काव्या को पुकारते हैं,मुझे दो शानदार हाँ मिलती हैं!

आपके बच्चे के नाम से क्या पता चलता है?

आपकी पसंद जो भी हो, चाहे पारंपरिक हो या ट्रेंडी, यह आपका बच्चा है और आपको उनका नामकरण करते हुए खुशी महसूस करनी चाहिए। बस इतना याद रखें कि विश्व में हर जगह ऊर्जा है, इसलिए उस नाम में भी, जिससे आप अपने बच्चे को बुलाएंगे। ऐसा नाम चुनें जो आपके बच्चे के लिए अच्छी ऊर्जा के शक्तिशाली और सकारात्मक कंपन को पैदा करे।

यह हैं, हम!

यहाँ स्मार्ट माँताओं के कुछ किस्से हैं जो अपने बच्चों के लिए उनके द्वारा चुने गए नामों के पीछे की कहानियों से जुड़े हैं।

श्रीमती अयंगर

“जब मेरी एक बच्ची हुई तो मुझे बहुत खुशी हुई। मैं हमेशा रूसी संस्कृति की ओर आकर्षित रहा हूं और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले नाम “अनुष्का” नाम से प्यार करती थी। इसका अर्थ है, अनुग्रह या राजकुमारी। मैंने फारसी में इसका अर्थ “प्रेम का उपहार” और संस्कृत में “सपनों को पूरा करने वाला” पाया। मेरी नन्ही अनुष्का ये सब हैं।”

श्रीमती कक्कड़

“मैंने अपने बच्चों का नाम पाउंड और डॉलर रखा है। ये नाम अक्सर दूसरे माता-पिता का बहुत मनोरंजन करते हैं और मुझसे हमेशा पूछा जाता है कि मैंने इन नामों को क्यों चुना। वजह समान्य है। हम माता-पिता हैं और हम एक मज़ेदार नाम चाहते थे और इतना अलग होना चाहते थे कि हमारी लड़कियाँ जहाँ भी जाएँ, सबका ध्यान आकर्षित करें”।

मैं हूँ निशा गुप्ता, इस ब्लॉग की लेखिका।

जब अंतिम नाम चुनने की बात आई तो हमारी बेटी तीसरी बार भाग्यशाली रही।हमको जाह्नवी नाम बहुत अच्छा लगा और इसी नाम से उसे बुलाने लगे। परिवार के बुजुर्ग जो ज्योतिष में कट्टर विश्वास रखते थे, उन्होंने परिवार के पंडित से उनके जन्म के विवरण को साझा करने पर जोर दिया, जिन्होंने अक्षर ‘ज’ को अस्वीकार कर दिया और ‘क’ का सुझाव दिया। फिर हमने उसका नाम कुशा रखा, एक बार जब हमने उसे पुकारना शुरू किया, तो उसको पसंद नहीं आया। अंत में हमे मेनका गांधी की नामों की एक किताब में ‘काव्या’ नाम मिला और हमने उसको उसी नाम (‘काव्या’) से पुकारना शुरू कर दिया। आखिरकार हमने जो नाम चुना उससे हम बहुत खुश हैं।

मुझे आशा है कि वह भी खुश है। तो स्मार्ट मम्स, आइए इस विषय को आगे बढ़ाते हैं। अपने बेटे/बेटी का नाम बताएं और कारण भी बताएं कि आपने वह नाम क्यो चुना है।

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