कोलिक, बच्चों(और माँ) दोनों को रुलाता है।

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कोलिक न तो कोई बीमारी है, न ही निदान है; यह ऐसी अवस्था है जिसमें ज़्यादातर बच्चे बस रोते रहते हैं (और बाद में माँ को भू रुलाते हैं), जब तक कि वे लगभग एक वर्ष के नहीं हो जाते। कोलिक वाले शिशु अचानक से बिना किसी स्पष्ट कारण के रोने शुरू कर देते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि 3 का नियम कोलिक की पहचान करने में मदद कर सकता हैः यह कम से कम 3 घंटे तक काम करता है; सप्ताह में कम से कम 3 दिन होता है; और लगातार कम से कम 3 सप्ताह तक रहता है।

कोलिक के कारण :

  1. अतिउत्तेजित इंद्रियां – जन्म के बाद, शिशु अपने आस-पास की नई चीज़ों को देख कर डर सकते हैं, और वे लगातार रो सकते हैं, जिससे कोलिक क्राइंग हो सकता है।
  2. अविकसित पाचन तंत्र – एक नवजात शिशु की जठरांत्र प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती है। इसलिए, खाना कभी-कभी बहुत जल्दी से नीचे चला जाता है, और पूरी तरह से टूटता नहीं है, जिससे गैस बनती है और दर्द होने लगता है।
  3. बच्चों में एसिड रिफ्लक्स – रिसर्च में पाया गया है कि शिशु गर्ड(गैस्ट्रो-ओसोफेगियल रिफ्लक्स रोग) भी कोलिक का कारण बन सकता है। लक्षणों में बार-बार थूकना, खराब खाना-पीना, और खाना खाते समय और बाद में चिड़चिड़ापन है।
  4. खाने से एलर्जी – कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि कोलिक, फार्मूला दूध पीने वाले शिशुओं को दूध में मौजूद प्रोटीन(या लैक्टोज इंटॉलरेंस) से होने वाली एलर्जी के कारन भी हो सकता है।
  5. धूम्रपान करने वालों के संपर्क में आने से – अध्ययनों से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान या उसके बाद धूम्रपान करने वाली माताओं के बच्चे में कोलिक होने की संभावना ज़्यादा होती है। हाँ, पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव बहुत जल्दी शुरू हो जाते हैं। तो अगर हो सके तो कैंसर करने वाली इस स्टिक को पीना छोड़ दें।

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कोलिक को कम करने के कुछ आसान तरीकेः

अगर आपको बच्चा अतिउत्तेजित लगता है:

  • अपने बच्चे के पास भागें- वह भी किसी परिचित को ढूंढ रही है। उसे अपनी गोद में लें। उसे आपके साथ सबसे ज़्यादा सुरक्षित महसूस होता है।
  • ज़्यादा लोगो को आमंत्रित न करें – कम मेहमानों को बुलाएं और अपने बच्चे को अचानक से इतने सारे लोगो से न मिलवाएं, खासकर दोपहर में देर से या शाम में।
  • शांत रहें – यह सुनिश्चित करें कि बच्चे के चारों तरफ शांति का माहौल हो। रोशनी को कम करें, धीमी आवाज़ में बोलें या गाएं (या चुप रहें) और कम से कम शोर रखें। ज़्यादा चमकीले कपड़े भी न पहनने इससे भी मदद मिल सकती है। बस मज़ाक था!

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अगर आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या की सम्भावना लगती है :

  • कोमलता से सहलाएं – कुछ कोलिक शिशुओं को तब राहत मिलती है जब पेट को कोमलता से सहलाया जाता है। अपने शिशु के चेहरे को अपनी गोद में रखें, या अपने कंधे पर उसके पेट को सीधे रखें, या “कोलिक कैरी” की कोशिश करें, जब आपका बच्चा आपके पेट के बल आपकी बांह पर लेटा हुआ है। जब आप शिशु को गोद में लें उसी समय धीरे से उसकी पीठ को सहलाएं या थपथपाएं।
  • कुछ एंटी-गैस ड्रॉप्स आज़माएं – अध्ययनों से पता चलता है कि पेट में गैस कम होने से दर्द (और बच्चों का रोना) कम हो सकता है। बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
  • डाइट बदलें (अपनी, ना की बच्चे की) – अगर आप स्तनपान करा रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में पूछें कि क्या आपको किसी भी खाद्य पदार्थ से परहेज़ करना चाहिए जो आपकी पेट की परेशानी का कारण बन सकता है। इनमें एसिडिटी करने वाली सब्जियां (गोभी, फूलगोभी), अम्लीय खट्टे फल, या यहां तक कि मछली, डेयरी, सोया, गेहूं, अंडे, मूंगफली, आदि जैसे एलर्जी करने वाले फ़ूड भी शामिल हो सकते हैं।
  • फार्मूला बदलें – फॉर्मूले वाला दूध पीने वाले शिशुओं के लिए, नाज़ुक पेट के लिए तैयार किए या वो फार्मूला जो गाय के दूध से नहीं बना होता है ऐसे मानक किस्म के फार्मूला बदल कर पीने की कोशिश करें।

बस ध्यान रखें कि अपने बच्चे को किसी भी दवा, हर्बल या अन्यथा, अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श किए बिना न दें। आप अपने डॉक्टर से भी पूछ सकते हैं कि क्या आप अपने बच्चे को ‘ग्रिप वॉटर’ दे सकते हैं? यह कोलिक लक्षणों को कम करने के लिए, सबसे अच्छे उपचारों में से एक है।

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