बच्चों को पेट के बल लेटाने का समय।

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जो माता-पिता मेरी प्रसवपूर्व क्लास लेते हैं, उनके मन में बच्चे की नींद के बारे में बहुत सारे सवाल होते हैं। और मैं उन सवालों का जवाब देने में बहुत खुश हूं क्योंकि बच्चे ज़्यादातर समय सोने में बिताते हैं। और यह समझना बहुत ज़रूरी है कि जब बच्चे रहे होते हैं या जब जग रहे हो तो उन्हें अपना समय कैसे बिताना चाहिए।

इनमें से ज़्यादातर गर्भवती माता-पिता ने सुना है कि बच्चों को हमेशा उनकी पीठ के बल सुलाना चाहिए। और उन्हें ऐसा करने में खुशी होती है क्योंकि ऐसा करना सबसे स्वाभाविक लगता है।

जो बात उन्हें परेशान करती है वो है ‘टमी टाइम’ वाला कॉन्सेप्ट, जिसमें उन्हें बच्चे को पेट के बल लेटाने के लिए कहा जाता है। और यह इससे पहले बताई गयी सलाह का बिल्कुल उल्टा लगता है।

इस अंतर को समझने के लिए, बच्चे के लिए सोने और जागने के समय के बीच अंतर करना ज़रूरी है।

टमी टाइम क्या है?

जब आपका बच्चा जाग रहा हो और आपकी देखरेख में हो, तो टमी टाइम का मतलब है आपके बच्चे को खेलने के लिए उसके पेट के बल लेटाना।

पेट के बल लेटाना ज़रूरी क्यों है?

? बच्चों को पेट के बल लेटाना ज़रूरी इसलिए है क्योंकि हाल में यह देखा गया है कि जो बच्चे ज़्यादा समय तक अपनी पीठ के बल लेटे रहते हैं, उन्हें शरीर के विकास में देरी, किसी समस्या को हल करने में देरी, किसी चीज़ को आंखे से ट्रैक करने में समस्या, और व्यवहारिक समस्या जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

जब बच्चे पेट के बल लेटते हैं तो उनकी गर्दन और कंधों में बेहतर मांसपेशियों का विकास होता है। यह उन मांसपेशियों को बनाने में मदद करता है जो बच्चे को लेट कर घूमने, बैठने और क्रॉल करने के लिए ज़रूरी है।

पेट के बल लेटने का यह भी फ़ायदा है कि इससे बच्चे के गर्दन में दर्द भी नहीं होता है और सर का पिछला हिस्सा सपाट भी नहीं होता।

क्या बच्चों को उनके पेट के बल लेटना सही है?

अपने बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए उसे पेट के बल लिटाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें

  1. अपने बच्चे को पेट के बल तभी सुलाएं जब वह पूरी तरह से जागा हुआ और सतर्क हो।
  2. अपने बच्चे को इस स्थिति में न छोड़कर जाएं या सो जाएं। उसे पेट के बल सुलाते समय सतर्क और चौकस रहें।
  3. इस बात का ध्यान रखें कि आप कभी भी अपने बच्चे को पेट के बल सोने न दें। इससे एसआईडीएस (अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम) की संभावना बढ़ सकती है।

आपको बच्चे को पेट के बल लेटाना कब शुरू करना चाहिए?

जैसे ही आप अपने नवजात शिशु को अस्पताल से घर लाते हैं, उसी दिन से शिशु को पेट के बल लेटाना शुरू कर देना चाहिए।

इसकी शुरुआत 1-2 मिनट लेटाने से करें।

ऐसा हर बार झपकी लेने, डायपर बदलने और स्तनपान कराने के बाद करें।

बच्चे के पेट के बल लेटाना सीखने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

हर बार डायपर बदलने के दौरान और हर स्तनपान करने के बाद – बच्चे को उसके पेट के बल लेटाएं।

आप भी अपने पेट के बल इस तरह से लेट जाएं कि आप बच्चे के साथ आमने-सामने हों।

अब बात करते और खेलते समय बच्चे के साथ जुड़ने की कोशिश करें।

बच्चे को आपका चेहरे ढूंढ़ने के लिए और आपके साथ जुड़ने के लिए उसे ऊपर, नीचे, बाएं या दाएं देखने के लिए प्रोत्साहित करें।

जब आपका बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होता है तो आप क्या बदलाव देखती हैं?

आप देखेंगी कि बच्चा अपना सिर मोड़कर अपने घुटनों को पेट की तरह खींचने लगेगा।

12वे हफ़्ते तक आपका बच्चा पैरों को पूरा खोल कर ठोड़ी और कंधों को बिस्तर से ऊँचा उठाने में सक्षम होगा।

24वे हफ्ते तक आपका बच्चा छाती और पेट के ऊपरी हिस्से को कोहनी खोल कर अपने हाथों पर ज़ोर देकर खुद को बिस्तर से ऊँचा उठाने में सक्षम होगा।

बच्चों को पेट के बल लेटाना ज़रूरी है।

इसे मज़ेदार और बच्चे के साथ जुड़ने का समय बनाएं!!

डॉ. देबमिता दत्ता एमबीबीएस, एमडी

द्वारा

डॉ. देबमिता दत्ता एक प्रैक्टिसिंग डॉक्टर, पेरेंटिंग कंसल्टेंट, प्रकाशित पेरेंटिंग लेखक और अपनी वेबसाइट डब्ल्यूपीए whatparentsask.com की संस्थापक हैं – वह बैंगलोर में रहती हैं और स्कूलों और कॉर्पोरेट संगठनों में पेरेंटिंग पर ऑनलाइन और ऑफलाइन वर्कशॉप आयोजित करती हैं। वह गर्भवती माता-पिताओं के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रसवपूर्व कक्षाएं और हाल में बने माता-पिताओं के लिए शिशु देखभाल की कक्षाएं भी आयोजित करती हैं।

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