पोषण के क्षेत्र में प्रोबायोटिक काफी जाना-माना शब्द है।
जो लोग स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं, वे अपने डाइट में प्रोबायोटिक्स शामिल करने के लिए उत्सुक हैं।
यह सब जानते हैं कि प्रोबायोटिक्स जीवित बैक्टीरिया होते हैं जिन्हें हम अपने स्वास्थ्य और इम्युनिटी में सुधार के लिए खाते हैं।
हालांकि, अच्छे बैक्टीरिया की बोतलों को निगलना काफी नहीं है।
बैक्टीरिया हमारे शरीर के अंदर जाने पर, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन हो और रहने के लिए एक अच्छा वातावरण हो – ताकि वे बने रहें और हमारे स्वास्थ्य को अच्छा बना सकें।
इसके अलावा, हमें उन चीजों को करने से बचना चाहिए जो बैक्टीरिया को नष्ट कर सकते हैं और उन्हें हमारे पेट से बाहर निकाल सकते हैं।
इसलिए प्रोबायोटिक युक्त डाइट को खाना 6 चरणों वाली प्रक्रिया है।
प्रोबायोटिक से भरपूर डाइट कैसे लें
चरण 1 – ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जिनमें जीवित सूक्ष्मजीव हों
- दही –
घर पर दही जमाना सबसे अच्छा होता है। इसमें लाखों बैक्टीरिया होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत जरुरी होते हैं।
दही को इस प्रकार भी खाया जा सकता है
लस्सी, छास और श्रीखंड।
2. फरमेंट किए अचार –
किसी भी सब्जी या हरी पत्तेदार उपज को छाछ या सरसों के तेल और पानी में कुछ दिनों तक डुबोकर अचार बनाया जा सकता है।
कुछ सब्जियां जिनका अचार बनाया जा सकता है, वे हैं – गाजर, मूली, फूलगोभी, पत्ता गोभी, बोक चोय, कोहलबी, कटहल, खीरा, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, अमरंथ के पत्ते।
आप सब्जी का आचार भी खा सकते हैं। या आप अचार के तेल वाले मसाले को जिसमें अचार डुबाया जाता है उसे एक शॉट की तरह पी सकते हैं या इसे सलाद ड्रेसिंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
अचार के तेल वाले मसाले को हिंग और जीरा के साथ मिलाकर तड़का भी लगाया जा सकता है और एक ताज़ा ड्रिंक की तरह इसे पिया भी जा सकता है।
चरण 2 – ज़रूरी प्रीबायोटिक्स को खाकर, शरीर में सूक्ष्मजीवों को जीवित रखें
प्रीबायोटिक्स पौधों के वे भाग होते हैं जिन्हें हम पचा नहीं सकते। इन भागों को यौगिक बनाने के लिए आंत में फरमेंट किया जाता है ताकि जीवित रहने के लिए अच्छे बैक्टीरिया खाने के रूप में इसका इस्तेमाल कर सके।
खाद्य पदार्थ जिन्हें प्रीबायोटिक्स के रूप में खाया जा सकता है –
- साबुत गेहूं की रोटी, ब्राउन राइस, ज्वार की रोटी, बाजरा की खीर, रागी दलिया
- दाल – मूंग दाल, मसूर दाल, काबुली चना, राजमा
- अन्य खाने – मूंग दाल खिचड़ी, इडली, डोसा, ढोकला, कढ़ी
- सब्जियां – भिंडी, लौकी, कद्दू
- हरी पत्तेदार सब्जियां – पालक,अमरंथ, मेथी
- फल – सेब, जामुन, नाशपाती
चरण 3 – अपनी डाइट में अच्छे वसा को शामिल करें
वसा जो आपके आंत सूक्ष्मजीवों के लिए अच्छे होते हैं
- नारियल –
खाना पकाने के लिए नारियल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्मूदी के साथ नारियल के दूध का सेवन किया जा सकता है।
घिसे हुए नारियल का इस्तेमाल खाने की डिश को सजाने के लिए किया जा सकता है।
कद्दूकस किया हुआ नारियल चटनी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- घी – घी का इस्तेमाल हर तरह के खाने में किया जा सकता है। यह आंत के बैक्टीरिया को बने रहने के लिए एक अच्छा वातावरण देकर उन्हें पनपने में मदद करता है।
चरण 4 – रिफाइन खाना बंद करें
केक, कुकीज, व्हाइट ब्रेड, आइसक्रीम, कैंडी, सोडा, चिप्स आदि को खाना बंद कर दें। ये खराब बैक्टीरिया और यीस्ट को पनपने में मदद करते हैं और अच्छे बैक्टीरिया के जीवित रहने की संभावना को कम करते हैं।
चरण 5 – खुद से दवाई लेना बंद करें
एंटासिड को ज़्यादा लेने और एंटीबायोटिक दवाओं के बिना ज़रूरत के लेने से बचें। ये भोजन के पाचन में बाधा डालते हैं और साथ ही अच्छे बैक्टीरिया को मारते हैं।
चरण 6 – तनाव कम करें
बहुत समय से चल रहा तनाव आंत में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या को कम कर सकता है। अपने तनाव को कम करने के लिए व्यायाम करें और ध्यान लगाएं।
इम्युनिटी से शुरू होकर मानसिक स्वास्थ्य और सीखने तक स्वास्थ्य के हर पहलू के लिए प्रोबायोटिक युक्त डाइट लेना ज़रूरी है। उस पर ध्यान दें।
डॉ देबमिता दत्ता एमबीबीएस, एमडी
द्वारा
डॉ देबमिता दत्ता एमबीबीएस, एमडी एक पेशेवर डॉक्टर, पेरेंटिंग कंसल्टेंट (पालन-पोषण सलाहकार) और डब्ल्यूपीए whatparentsask.com की संस्थापक हैं। वह स्कूलों और कॉर्पोरेट संगठनों के लिए बच्चों के पालन-पोषण पर ऑनलाइन और ऑफलाइन वर्कशॉप आयोजित करती हैं। वह ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रसवपूर्व और शिशु देखभाल कक्षाएं भी आयोजित करती है। वह पालन-पोषण में एक प्रसिद्ध विचार-नेता हैं। पेरेंटिंग (पालन-पोषण) पर उनकी किताबें जुगर्नॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित की जाती हैं और उन्हें अक्सर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों में उद्धृत किया जाता है। वह पालन-पोषण के प्रति अपने सहानुभूतिपूर्ण और करुणामय दृष्टिकोण और पालन-पोषण के लिए शरीर विज्ञान और मस्तिष्क विज्ञान के अपने अनुप्रयोग के लिए प्रसिद्ध हैं।